उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के रिखणीखाल में बाघ ने आतंक मचा रखा है। जिसे देखते हुए यहां 12वीं तक से स्‍कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित कर दिया गया है।
जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने जनपद के विकासखंड रिखणीखाल के बाघ प्रभावित क्षेत्र के कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक के 13 स्कूलों के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों में 22 दिसंबर तक अवकाश कर दिया है। बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से यह निर्णय लिया गया है। इस संबंध में डीएम ने अवकाश संबंधी आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं
19 दिसंबर को उप जिलाधिकारी रिखणीखाल ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि विकासखंड रिखणीखाल क्षेत्र के अंर्तगत बाघ के आतंक के कारण राजकीय प्राथमिक विद्यालय कंडिया मल्ला, राजकीय प्राथमिक विद्यालय कंडिया तल्ला, राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कंडिया, राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपलसारी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुठेरता, राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेन्धी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय डाबरी, जीआइसी डाबरी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय डाबरी वल्ली, राजकीय प्राथमिक विद्यालय मैन्दणी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बड़कासैंण, राजकीय प्राथमिक विद्यालय डोबरिया, राजकीय प्राथमिक विद्यालय डोबरियासार के अलावा इन क्षेत्रों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र बाघ प्रभावित क्षेत्र होने के लिए छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिहाज से 22 दिसंबर तक के अवकाश की संस्तुति की गई थी।
उप जिलाधिकारी रिखणीखाल की संस्तुति तथा छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिहाज से जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान बाघ प्रभावित क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र तथा कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक के स्कूलों में 22 दिसंबर तक अवकाश घोषित कर दिया है। डीएम ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
झबरेड़ा: कस्बे में लावारिस घूमने वाले पशुओं से किसान परेशान हैं। आवारा पशु किसानों के खेतों में घुसकर गेहूं व बरसीम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आवारा पशुओं से छुटकारा दिलाने की मांग की
कस्बा झबरेड़ा निवासी राजपाल सिंह, विपिन, कुलदीप, रोहित कुमार, मुस्तफा अहमद, धीर सिंह, प्रवेश का कहना है कि आसपास गांव के लोग कस्बे में देर रात को छोटे बछड़ों को छोड़ जाते हैं। ऐसे में लोगों द्वारा छोड़े गए पशु खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
वहीं, इन आवारा पशुओं से कस्बे के दुकानदार भी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि इन आवारा पशुओं के साथ-साथ नील गाय भी खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रही है। शाम होते ही नील गाय का झुंड गेहूं के खेत में घुसकर फसल को खा जाता है।