संस्कृति और समृद्धि के बीच के पारस्परिक सम्बंध को परिलक्षित करती है ताज महोत्सव-2024 की थीम - Punjab Times

संस्कृति और समृद्धि के बीच के पारस्परिक सम्बंध को परिलक्षित करती है ताज महोत्सव-2024 की थीम

आगरा। निश्चित रूप से चयनित थीम संस्कृति और समृद्धि के बीच के पारस्परिक सम्बंध को परिलक्षित करती है।ताज महोत्सव एक ऐसा आयोजन है जो भारत की अदभुत एवं बहुआयामी संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है।भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखती है। “विविधता में एकता” बसुधैव कुटुम्बकम और अतिथि देवो भव: की विचारधारा पर केंद्रित देश की संस्कृति निश्चित रूप से हमारी समृद्धि का आधार होती है। इस महोत्सव में जहां एक ओर देश के कोने कोने का आकर्षक हस्तशिल्प देखने को मिलता है, वही दूसरी ओर देश की समृद्ध संस्कृति सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती है, साथ ही महोत्सव में उपलब्ध देश के स्वादिष्ट व्यंजन भी यहां आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को ललचाया करतें हैं। महोत्सव के आयोजन में आम जन की प्रतिभागिता सुनिश्चित किए जाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आमजन से थीम आमंत्रित की जाती हैं और चयन समिति द्वारा सर्वश्रेष्ठ थीम का चयन किया जाता है। चयनित थीम के रचनाकार को रू. १०,००० पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जाता है। इस वर्ष थीम प्रेषित किए जाने की अंतिम तिथि १५
जनवरी निर्धारित थी।
इस बार चयनित थीम के स्लोगन-
“विकसित भारत के संकल्प संग, ताज महोत्सव के रंग” भी महोत्सव के कार्यक्रमों का आधार होगा।
यद्यपि महोत्सव की अवधि १८ से २७ फरवरी निर्धारित होती है परंतु इस वर्ष महोत्सव १७ फरवरी से आरंभ होकर २७ फरवरी तक चलेगा। इस प्रकार एक और दिन दर्शक महोत्सव का आनंद उठा सकेंगे।
इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार होंगे पतंग महोत्सव, हॉट एयर बैलून राइड, लेजर शो, विभिन्न विधाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम यथा शास्त्रीय, उप शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत, सुगम संगीत, बॉलीवुड कलाकारों के शोज,देश के कोने कोने का हस्तशिल्प एवं अन्य आकर्षक प्रदर्शनियां
मंडलायुक्त आगरा एवं अध्यक्ष, ताज महोत्सव समिति सुश्री रितु माहेश्वरी जी इस वर्ष चयनित थीम से उत्साहित हैं, वो बतातीं हैं कि चयनित थीम पर ही महोत्सव के कार्यकलाप आधारित होंगे। वो विश्वास
जताती हैं कि आगामी ताज महोत्सव २०२४ एक वृहद और भव्य रूप में दर्शकों के समक्ष आयोजित होगा तथा हमारी महान संस्कृति और समृद्धि का परिचायक होगा।

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