उत्तराखंड में मौसम के तेवर बदले, देर रात से रही बारिश से गंगोत्री-बदरीनाथ हाईवे बंद

देहरादून उत्तराखंड में मौसम के तेवर तल्ख हैं। देर रात से ही राजधानी दून समेत कई इलाकों में बारिश जारी है। टिहरी में गंगोत्री और बदरीनाथ राजमार्ग मलबा आने से बंद। गंगोत्री राजमार्ग नगुण के पास, जबकि बदरीनाथ राजमार्ग तोता घाटी के पास बंद है। इसे खोलने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, जोशीमठ-मलारी हाईवे पर तमक के पास लगातार भूस्खलन होने से सड़क को अब तक खोला नहीं जा सका है। यहां छह दिन से 400 यात्री फंसे हुए हैं। गुरुवार को इन यात्रियों को निकालने के लिए देहरादून से हेलीकाप्टर रवाना किया गया, लेकिन मौसम बिगड़ने के चलते हेलीकाप्टर को आधे रास्ते से लौटना पड़ा। उधर, भूस्खलन जोन के मुहाने पर दरारें आने से सड़क की मरम्मत भी नहीं हो पा रही है।

गुरुवार को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की संयुक्त टीम ने भूस्खलन जोन के मुहाने का जायजा लिया। इस दौरान पहाड़ी पर बड़े क्षेत्र में दरारें नजर आईं। इससे पहाड़ी के टूटने का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा यहां रुक-रुककर भूस्खलन भी हो रहा है। इस कारण हाईवे खोला नहीं जा पा रहा है। हालांकि, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान सुरक्षित पैदल रास्ता बनाने में जुटे हुए हैं।

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि प्रशासन ने यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए देहरादून से हेलीकाप्टर मंगवाया था, लेकिन मौसम बिगड़ने के कारण रेस्क्यू नहीं हो पाया। आज फिर से हेली रेस्क्यू का प्रयास किया जाएगा।

स्थानीय निवासी कर रहे रहने-खाने का इंतजाम

जोशीमठ-मलारी हाईवे बंद होने से नीती-मलारी घाटी के 13 गांव भी प्रभावित हैं। गांवों में विद्युत आपूर्ति के साथ-साथ दूरसंचार व्यवस्था नौ दिन से ठप है। हाईवे बंद होने से स्थानीय निवासियों के साथ सेना और आइटीबीपी की गाडिय़ां भी फंसी हुई हैं। चीन सीमा पर भी आवाजाही बाधित है। हाईवे पर फंसे व्यक्तियों के लिए स्थानीय लोग ही रहने-खाने का इंतजाम कर रहे हैं। यात्रियों ने तमक और लाता समेत आसपास के अन्य गांवों में आसरा लिया है।

कुमाऊं में दो दिन भारी बारिश के आसार

उत्तराखंड में बादलों ने डेरा जमा रखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में रुक-रुककर बारिश हो रही है, जबकि मैदान में बूंदाबांदी का क्रम जारी है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन कुमाऊं में भारी बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान देहरादून समेत आसपास के इलाकों में भी तेज बौछारें पड़ सकती हैं। वहीं, कुमाऊं के बागेश्वर में बारिश का दौर जारी है। इससे सरयू का जलस्तर बढ़ने लगा है। यहां अब भी भूस्खलन के कारण पांच मोटर मार्ग बंद हैं। पिथौरागढ़ जिले में थल-मुनस्यारी मार्ग गिरगांव के पास मलबा आने से बंद है।

अगस्त में 42 फीसद कम बरसे बदरा

अगस्त के दूसरे सप्ताह से प्रदेश में मानसून सुस्त पड़ा है। इस माह अभी तक सामान्य से 42 फीसद कम बारिश हुई है। इसमें भी चंपावत (82 फीसद कम), देहरादून (61 फीसद कम), पौड़ी (60 फीसद कम), टिहरी (68 फीसद कम) व हरिद्वार (62 फीसद कम) जनपद में बादल सबसे कम बरसे। हालांकि, बागेश्वर में सामान्य से 62 फीसद अधिक बारिश दर्ज की गई। नैनीताल में बारिश सामान्य हुई है।

जिलों में कम बारिश दर्ज की गई। एक जून से अब तक प्रदेश में 778 मिमी बारिश हुई है, जो कि सामान्य बारिश (832 मिमी) से करीब सात फीसद कम है। अगस्त में कम बारिश से पहाड़ में दुश्वारियों से कुछ राहत मिली, लेकिन किसानों के सामने सिंचाई की चिंता उत्पन्न हो गई। इस समय प्रदेश में धान, मक्का, बाजरा आदि की मुख्य फसलें खड़ी हैं। कम बारिश होने से किसानों को खेत में सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *