करवाने जा रहे हैं बीमा तो इन बातों का रखें ध्यान - Punjab Times

करवाने जा रहे हैं बीमा तो इन बातों का रखें ध्यान

जीवन बीमा हर किसी के लिए जरूरी है। देश में लाखों एजेंट हैं जो जीवन बीमा बेचने का काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर आपको बीमा की नीतियों और जीवन शैली के लिए उपयुक्त नीतियों के बारे में बताते हैं, जबकि कई ऐसे भी हैं जो गलत तरीके से जानकारी देकर बीमा बेचने की कोशिश करते हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति बीमा लेता है उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह जो बीमा खरीद रहा है वह उसके लिए उपयुक्त है या नहीं। या फिर उसे जिस बीमा के बारे में बताया जा रहा है क्या उसे वही बीमा दिया जा रहा है या कुछ अलग। हम इस खबर में बता रहे हैं कि आप कैसे गलत बीमा लेने से बच सकते हैं।

एफडी से बेहतर रिटर्न मिलता है

एजेंट बताते हैं कि बीमा एफडी की तुलना में बेहतर रिटर्न देती है। जबकि ऐसा नहीं है। जीवन बीमा पॉलिसी का सबसे पहला काम है कि आपको असमय मृत्यु के मामले में सुरक्षा दे, ताकि जीवित परिवार के सदस्यों को बीमा करने वाले से बीमा राशि मिल सके। इसे ‘सम एश्योर्ड’ सुरक्षा लाभ भी कहते हैं। सुरक्षा लाभ के अलावा जीवन बीमा में अन्य लाभ भी शामिल होते हैं। बीमा की तुलना एफडी से करना ठीक नहीं रहेगा। आप इससे सावधान रहें एजेंट के ऐसे वादों पर नजर रखें।

मान लीजिये कि आपको बताया जाता है कि ‘आपको एक्स-पे प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा।’ लेकिन ऐसे पेमेंट के लिए प्रीमियम भुगतान की कुल अवधि का उल्लेख नहीं जाता है। आम तौर पर जीवन बीमा पॉलिसी दीर्घकालिक (5 वर्ष से अधिक और अक्सर 10-20 वर्षों के लिए) होती हैं।

प्रीमियम को लेकर भ्रम में रखना

ज्यादा से ज्यादा फायदे के लिए एजेंट पॉलिसी लेने वाले के साथ ‘लागत’ और ‘कर्तव्यों’ के बारे में बातचीत नहीं करते। बीमा करने वाला उत्पाद में किए गए वादों के अपने पक्ष का सम्मान करने के लिए उत्तरदायी है और साथ ही ग्राहक को उसके प्रीमियम का सही, समय पर और पॉलिसी की पूरी अवधि के लिए भुगतान करना है। यदि कार्यकाल पूरा नहीं होता है, तो ऐसे शुल्क या कटौती हो सकते हैं जो बीमाकर्ता को प्रभावित करेंगे। इसलिए ग्राहक को केवल उस प्रीमियम राशि के लिए तैयार होना चाहिए जो आसानी से दी जा सके।

दावा के बारे में गलत जानकारी

यह बात स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा नीतियों से जुड़ी है। जीवन बीमा लेते समय एजेंट से यह स्पष्ट करने के लिए कहें कि किस परिस्थिति में दावा देय नहीं है। मसलन, अगर ग्राहक धूम्रपान करता है और आवेदन के रूप में खुद को गैर-धूम्रपान करने वाला बताता है, तो उसकी मृत्यु पर बीमा कंपनी परिवार को मृत्यु का दावा देने से इनकार कर सकती है।

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