यहां नई ओपीडी में चिकित्सकों का बैठना हुआ दूभर, छूट रहे पसीने; वजह जानिए - Punjab Times

यहां नई ओपीडी में चिकित्सकों का बैठना हुआ दूभर, छूट रहे पसीने; वजह जानिए

देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की नई ओपीडी में गर्मी शुरू होते ही चिकित्सकों और स्टाफ के पसीने छूटने लगे हैं। नई बिल्डिंग की ओपीडी ए-ब्लॉक में बिजली की व्यवस्था ही अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई है। चिकित्सकों के केबिन में न तो पंखे लगे हैं, न ही अभी तक एसी इंस्टॉल हुए हैं। ऐसे में तपती गर्मी में उनका वहां बैठना तक दूभर हो गया है।

चिकित्सकों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की गई है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कार्यदायी संस्था द्वारा नई बिल्डिंग के लिए अभी तक ट्रांसफार्मर नहीं लगवाया गया है। इसके चलते बिजली की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है।

बता दें, बीती पांच मार्च को आधी-अधूरी तैयारी के साथ दून अस्पताल की नई ओपीडी के ए-ब्लॉक का शुभारंभ किया गया था। डेढ़ माह बाद भी अस्पताल की व्यवस्था सुधर नहीं पा रही है। चिकित्सकों के केबिन तक में गर्मी से राहत का इंतजाम नहीं हो पाया है, न तो पंखे लगे हैं न ही एसी। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग में अभी तक वायरिंग ही नहीं हुई है।

कुछ दिनों से गर्मी बढ़ गई है, ऐसे में चिकित्सकों का केबिन में बैठना मुश्किल हो गया है। वह किसी तरह खिड़की खोलकर गर्मी से राहत पाने का जतन कर रहे हैं। बताया गया बिल्डिंग में पावर सप्लाई के लिए ट्रांसफार्मर लगाया जाना है, जो अभी तक कार्यदायी संस्था द्वारा नहीं लगाया गया है।

कार्यदायी संस्था से बात की गई तो नए ट्रॉसफार्मर लगने में अभी और समय लगने की बात कही गई। उनका कहना है कि बिल्डिंग सेंट्रल एसी युक्त होगी, ऐसे में सीलिंग फैन नहीं लगाए जाने हैं। जब तक ट्रांसफार्मर नहीं लग जाता तब तक एसी इंस्टॉल नहीं किया जाएगा। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि कार्यदायी संस्था को जल्द काम करने को कहा गया है।

डायलिसिस हुआ शुरू 

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डायलिसिस मशीनों को ठीक करा दिया गया है। यहां डायलिसिस शुरू हो गए। इससे मरीजों को राहत मिली है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि 2004 में डायलिसिस की तीन मशीन लगीं थीं। जिससे गरीब मरीजों को खासी राहत मिली। अटल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का उपचार मुफ्त किया जा रहा है।

बताया कि हर दिन अस्पताल में लगभग तीस डायलिसिस होते हैं। 2004 में खरीदी गई मशीनों का सही रखरखाव पूर्व में नहीं किया गया। इससे मशीनों की स्थिति ठीक नहीं है। अभी मशीनों को ठीक करा दिया गया है। नई मशीनों को खरीदना आवश्यक हो गया है।

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