घर-घर राशन स्कीम को एक ही पड़ाव में लागू किया जाएगा: लाल चंद कटारूचक्क - Punjab Times

घर-घर राशन स्कीम को एक ही पड़ाव में लागू किया जाएगा: लाल चंद कटारूचक्क

पंजाब

चंडीगढ़…….राज्य के लोगों को घर-घर राशन मुहैया करवाने की दृढ़ वचनबद्धता के साथ राज्य सरकार इस साल 1 अक्तूबर से आटा की होम डिलीवरी सेवा की शुरुआत करेगी।
इस योजना को राज्य भर में एक ही पड़ाव में लागू किया जायेगा। पूरे राज्य को आठ ज़ोनों में बाँटा गया है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों संबंधी मंत्री श्री लाल चंद कटारूचक्क ने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत सरकार की तरफ से एन.एफ.एस.ए. के अधीन रजिस्टर हरेक लाभार्थी को आटा की होम डिलीवरी का विकल्प दिया जायेगा। कोई भी लाभार्थी जो ख़ुद डीपू से गेहूँ लेना चाहता है, उसके पास मुफ़्त में उचित आई.टी. दखल के साथ इसकी चयन करने का विकल्प होगा। राशन का वितरण अब तिमाही की जगह महीनावार ढंग से किया जायेगा।
मंत्री ने कहा कि होम डिलीवरी सेवा मोबाइल फेयर प्राइस शॉप्स (एम.पी.एस.) की धारणा को पेश करेगी। मंत्री ने आगे कहा कि एम.पी.एस. एक ट्रांसपोर्ट वाहन होगा, जिसमें अनिवार्य रूप से जी.पी.एस. सुविधा और कैमरे लगे होंगे जिससे लाभार्थी को आटा सौंपने को लाइव स्ट्रीम किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि इस वाहन में अनिवार्य रूप से भार तोलने की सुविधा होगी, जिससे लाभार्थी को आटा की डिलीवरी से पहले इसके वजऩ के बारे में संतुष्ट किया जा सके। एम.पी.एस. वाहन में बायोमीट्रिक सत्यापन, लाभार्थी को सौंपने के लिए प्रिंट की गई वजऩ स्लिप आदि सभी अनिवार्य ज़रूरतें प्रदान की जाएंगी। सभी एम.पी.एस. लाइसेंस खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा जारी किये जाएंगे। एन.एफ.एस.ए. के तहत एम.पी.एस. को ‘फेयर प्राइस शॉप्स’ जैसा दर्जा दिया जायेगा। सिफऱ् एम.पी.एस. ही आटा की होम डिलीवरी की सुविधा प्रदान करेंगे।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि एन.एफ.एस.ए. के लाभार्थियों को आटा की सफलतापूर्वक होम डिलीवरी के लिए ज़रूरी सभी गतिविधियों के लिए मार्कफैड द्वारा स्पैशल पर्पस व्हीकल तैयार किया जायेगा। राज्य सरकार गेहूँ को आटा में पीसने का सारा खर्चा ख़ुद वहन करेगी, चाहे एन.एफ.एस.ए. के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह खर्चा लाभार्थी से वसूलने के लिए कहा गया है। श्री कटारूचक्क ने कहा कि इस नयी सेवा के साथ स्थानीय आटा चक्की से गेहूँ को आटा में पीसने के लिए आने वाले खर्च के सम्बन्ध में लाभार्थियों को लगभग 170 करोड़ रुपए की बचत होने की संभावना है।

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