चुनाव प्रचार को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे राजनीतिक दल, मगर किसी को आंदोलनकारियों की परवाह नहीं: भावना पांडे
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पिछले कईं महीनों से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बेरोजगार युवा व महिलाएं धरना दे रहे हैं किंतु किसी राजनीतिक दल ने इनकी सुध नहीं ली। उत्तराखंड सरकार ने तो मानों इनकी बात न सुनने की कसम ही खाई हुई हो। ऐसे में सिर्फ एक राजनीतिक दल ने आगे आकर इन आंदोलनकारियों की मदद को हाथ बढ़ाया, इस दल का नाम है “जनता कैबिनेट पार्टी”।
जनता कैबिनेट पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे बीते लगभग 8 महीनों से धरना दे रहे बेरोजगार युवाओं व महिलाओं की सुध ले रही हैं व इनकी हर संभव मदद कर रही हैं। चाय-नाश्ता और भोजन-पानी के साथ ही उन्होंने आंदोलनकारियों के लिए बिस्तर एवँ तंबुओं व अलाव की लकड़ियों आदि की व्यवस्था भी की हुई है।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे का कहना है कि वे उत्तराखंड की आंदोलनकारी बेटी हैं। उत्तराखंड को पृथक राज्य के रूप में पाने के लिए उन्होंने आंदोलनकारियों सँग लंबी लड़ाई लड़ी है। जिस वजह से वे इन आंदोलनकारियों के दर्द को बेहतर समझ सकती हैं। इसीलिए वे हर मंच पर इनकी आवाज को उठा रही हैं और इनके साथ हर मोर्चे पर डटकर खड़ी हैं।
भावना पांडे का कहना है कि कड़ाके की सर्दी के बीच बीते काफी दिनों से उत्तराखंड की माताएं बहने व युवा अपने हक के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। न तो सरकार और न ही किसी राजनीतिक दल को इनकी याद नहीं आयी। अब विधानसभा चुनाव नजदीक आता देख वोट बैंक की खातिर ये राजनीतिक पार्टियां एक्टिव चुनावी मोड़ में आकर आंदोलनकारियों की हितैषी होने का ढोंग कर रही हैं।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि उनके प्रयासों से मीडिया में आंदोलनकारियों के पक्ष में खबरें आने पर दबाव में आई सरकार ने धरना दे रहे युवाओं को वार्ता के लिए बुलाया और खोखला आश्वासन देकर वापिस भेज दिया। इससे पूर्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवँ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी गांधी पार्क के धरना स्थल पर पहुंचे थे जहाँ उन्हें आंदोलनकारियों के गुस्से का सामान करना पड़ा था।
भावना पांडे का कहना है कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा इन दोनों दलों के शासन काल में इन युवाओं के साथ अन्याय हुआ है, लेकिन अब चुनाव नज़दीक आता देख इन पार्टियों के नेताओं का दर्द छलक रहा है। उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक दल चुनाव प्रचार को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड की माताएं-बहनें, पाटनदाइयां व तमाम बेरोजगार युवा कड़ाके की ठंड व शीतलहर के बीच सड़कों पर हैं, मगर किसी को इनकी परवाह नहीं है।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि ये महिलाएं व युवा रोजगार पाने के लिए सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। सरकार पहले तो रिक्तियां निकालती ही नहीं हैं और वेकैंसी निकलती भी हैं तो कईं महीनों तक पदों की परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किये जाते। वहीं कुछ विभागों में रिजल्ट जारी होने के बाद भी नियुक्ति नहीं दी जाती। जैसे परिवहन विभाग में पिछले दो वर्षों से नियुक्ति नहीं दी गई।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे का कहना है कि पिटकुल विभाग में नियुक्तियां पिछले छह वर्षों से रुकी हुई हैं। वहीं लगभग सभी विभागों में युवाओं को अस्थायी तौर पर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले 21 वर्षों में भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी उत्तराखंड की दुर्दशा की है। इसलिए इस बार उत्तराखंड की महिलाओं और युवाओं ने मन बनाया है कि वे भाजपा और कांग्रेस को उत्तराखंड की सियासत से उखाड़ फैकेंगे और जेसीपी को सेवा का मौका देंगे।