श्रद्धा पूर्वक मनाया गया श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी का 446 वाँ शहीदी दिवस
*आज गुरुद्वारा श्री गुरु हरि राय साहिब जी (सातवीं पातशाही) देहरा खास, टी एच डी सी कालोनी देहरादून* *इस अवसर पर विशेष दीवान सुबह 4:30 बजे से शुरु हुआ।सर्व प्रथम श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश हुआ, नितनेम व श्री सुखमनी साहिब जी का पाठ हुआ उपरांत भाई रफल सिंह जी व भाई रोहित सिंह जी ,(हजूरी रागी जथ्था, गुरूद्वारा देहरा खास देहरादून ) द्वारा शबद*
*ठीकरि फौरि दिलीस सिरि प्रभ पुर कीया पयान ।।*
*तेगबहादुर सी क्रिआ करी न किन्हूं आन ।।*,
*तिलक जन्झू राखा प्रभ ता का।।कीनो बडौ कलू महि साका।।* व
*सूरज किरण मिले जल का जलु हुआ राम।।*
*कीर्तन गायन कर संगतों को निहाल किया । इस मौके पर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 446वाँ शहीदी दिवस देहरा खास टी एच डी सी कालोनी की संगत द्वारा बड़ी संख्या मे गुरु घर हाजरी भरी व उनकी शहीदी को कोटि कोटि प्रणाम किया*
*आज सभी संगत की सुख शांति के लिये अरदास की गई*
*आज श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के शहीदी के अवसर पर दोपहर के विशेष दीवान मे श्री सुखमनी साहिब सेवा सोसाइटी ( स्त्री सत्संग) द्वारा जाप साहिब का व नौवे महला के शलोक का सिमरन किया गया*
*इस अवसर पर एच. एस. कालड़ा- प्रधान ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहीदी को बलिदान दिवस के रुप मे क्यों मनाया जाता है इसकी विस्तार से जानकारी संगत को दी*। *गुरु साहिब का जन्म अप्रैल 1621 में अमृतसर में हुआ था और इनकी शहीदी नवंबर 1675 में चांदनी चौक, दिल्ली में हुई थी जहां आज गुरुद्वारा शीशगंज है* *औरंगजेब चाहता था कि कश्मीरी पंडित व अन्य हिन्दु धर्म को मानने वाले लोग मुस्लिम धर्म को अपना लें इस पर कश्मीरी पंडित श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के पास याचना लेकर पहुंचे और औरंगजेब के अत्याचार का वर्णन किया* ।
*इस पर गुरु साहिब ने कहा कि आप औरंगजेब को यह कहो कि अगर आप हमारे गुरु को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए राजी कर लेते हो तो हम भी मुस्लिम धर्म अपना लेंगे यह संदेशा जब औरंगजेब को प्राप्त हुआ तो औरंगजेब ने गुरु साहिब से कहा आप मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लो गुरु साहिब ने जवाब मे ‘ना’ कहने पर उनका शीश कलम करवा दिया* । *यह बलिदान गुरु साहिब का हमेशा हमेशा युगो युगो तक याद रखा जाएगा, किस तरह किसी विशेष धर्म की उन्होंने रक्षा की । गुरु जी ने अपने जीवन के 55 वर्ष मे से 20 साल बाबा बकाला साहिब (पंजाब) में एकांत में सिमरन में जुड़े रहे* *गुरु जी अपने परिवार मे सबसे छोटे 5वें पुत्र थे*।
*श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने काशी,आसाम, बनारस व पटना की यात्रा की*
*और जन जन के कल्याण के अनेक कार्य किये गुरु जी ने हमें सिखाया कि जुल्म को कभी बर्दाश्त नहीं करना चाहिए और अन्याय के खिलाफ हमेशा बलिदान की भावना रखनी चाहिए यह मानवता और धर्म की पहचान है*
*दीवान की समाप्ति के उपरान्त गुरु जी का प्रसाद, व मिष्ठान वितरण किया गया।*
*इस मौके पर कार्यकारणी के सभी सदस्य महासचिव- परवीन मल्होत्रा, परमजीत सिंह -उप प्रधान, नरेश सिंह खालसा , विजय खुराना आदि मौजुद थे l*
*कार्यक्रम में सरकार की गाइड लाइन्स का सख्ती से पालन किया गया*