लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 73 (बी) में इस सम्बन्ध में है स्पष्ट उल्लेख – एडवोकेट हेमंत
हालांकि मुख्यमंत्री चन्नी कैबिनेट से सिफारिश भेज राज्यपाल से 23 मार्च से पूर्व करवा सकते हैं 15वीं विधानसभा भंग
चुनाव आयोग पंजाब से 5 राज्यसभा सीटें के चुनाव हेतु 14 मार्च को जारी करेगा नोटिफिकेशन
15 वीं विधानसभा में कांग्रेस अपनी संख्या आधार पर जीत सकती है 4 से 5 राज्यसभा सीटें
16 वीं विधानसभा में हालांकि सभी 5 राज्य सभा सीटों पर आप पार्टी की जीत निश्चित
चंडीगढ़ — 16 वी पंजाब विधानसभा के आम चुनावों के नतीजों में अरविन्द केजरीवाल के राष्ट्रीय नेतृत्व वाली और भगवंत मान के मुख्यमंत्री चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (आप ) ने प्रदेश की कुल 117 विधानसभा सीटों में से तीन चौथाई से अधिक सीटें जीत कर राज्य में ऐतिहासिक विजय हासिल की है. वहीं कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है एवं उसके विधायक दल के नेता को कैबिनेट मंत्री के बराबर सदन में मान्यता प्राप्त विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त हो जाएगा.
गत सोमवार 7 मार्च को ही भारतीय निर्वाचन आयोग पंजाब सहित देश के 6 प्रदेशों से आगामी अप्रैल के आरम्भ में में रिक्त होने वाली कुल 13 राज्य सभा सीटों के निर्वाचन हेतु चुनावी कार्यक्रम की घोषणा की गयी. 14 मार्च को इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग द्वारा नोटिफिकेशन जारी होगी, 21 मार्च तक नामांकन भरे जाएंगे, 22 मार्च को नामांकन की जांच होगी, 24 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे, 31 मार्च को मतदान एवं मतगणना दोनों होंगे एवं 2 अप्रैल तक निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.
ज्ञात रहे कि 9 अप्रैल 2022 को पंजाब से राज्य सभा हेतु मार्च, 2016 में निर्वाचित सभी 5 सांसदों- सुखदेव सिंह ढींढसा, नरेश गुजराल, श्वेत मलिक, प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दुल्लो का 6 वर्षों का कार्यकाल पूर्ण हो जाएगा.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि मौजूदा 15 वीं पंजाब विधानसभा, जिसका गठन मार्च, 2017 में हुआ था एवं जिसकी पहली बैठक 24 मार्च 2017 को बुलाई गयी थी, अत: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 172 के अनुसार उसका पांच वर्षो का कार्यकाल 23 मार्च 2022 तक है.
. इसी बीच एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण कानूनी सवाल यह खड़ा हो गया है कि उक्त 5 सीटों के निर्वाचन में कौन सी विधानसभा – 15 वीं या 16 वीं के सदस्य योग्य होते हैं ?
हेमंत ने लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 73 (बी ) का हवाला देते हुए बताया कि चुनाव आयोग द्वारा मतगणना के बाद 11 मार्च को या उसके बाद पंजाब की नई 16वीं विधानसभा की नोटिफिकेशन जारी होने अर्थात उसका गठन होने के बावजूद 15 वीं पंजाब विधानसभा का सामान्य कार्यकाल प्रभावित नहीं होता बशर्ते उसे पंजाब के राज्यपाल द्वारा प्रदेश के मौजूदा चरणजीत चन्नी कैबिनेट की सिफारिश पर समय पूर्व भंग न कर किया जाए. हालांकि आज तक परंपरा यही रही है कि आम चुनावों में पराजित होने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के मुख्यमंत्री मतदाताओं के जनादेश का सम्मान करते हुए तुरंत त्यागपत्र देकर कैबिनेट में पिछली विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल को कर देते हैं जिसके बाद राज्यपाल तुरंत नोटिफिकेशन जारी कर उस विधानसभा को भंग कर देते हैं.
5 वर्ष पूर्व प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की हार के बाद तत्कालीन राज्यपाल वीपीएस भदनोर को 12 मार्च 2017 को ही 14 वीं पंजाब विधानसभा को भंग करने की सिफारिश भेज दी थी हालांकि उसका कार्यकाल 18 मार्च 2017 तक था. अब क्या मौजूदा मुख्यमंत्री चन्नी भी इसी परम्परा का पालन करते हुए 23 मार्च 2022 से पूर्व ही 15 वीं पंजाब विधानसभा को भंग करवाने की सिफारिश कैबिनेट से पास करवाकर मौजूदा राज्यपाल बीएल पुरोहित से करेंगे, यह देखने लायक होगा ?
हेमंत ने बताया कि चूंकि वर्तमान 15 वीं पंजाब विधानसभा, जिसका कार्यकाल 23 मार्च 2022 तक है, के दौरान ही पंजाब से 5 राज्य सभा सीटों की ताज़ा निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होगी जो 21 मार्च तक चलेगी और 22 मार्च को ही नामांकन की जांच होगी अर्थात तब तक 15 वीं पंजाब विधानसभा का कार्यकाल होगा बशर्ते उसे पहले न भंग कर दिया जाए, इसलिए उक्त 5 राज्य सभा सीटों हेतु मौजूदा विधानसभा द्वारा निर्वाचन का अधिकार बनता है, नई गठित 16 वीं पंजाब विधानसभा द्वारा नहीं. उन्होंने अप्रैल, 2021 के केरल राज्य सभा चुनावो के मामले का हवाला देते हुए बताया कि तब भी पुरानी केरल विधानसभा द्वारा 3 सीटों हेतु निर्वाचन किया गया था जब केरल हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया था. उस समय निर्वाचन आयोग ने पहले चुनावों की घोषणा कर उन्हें नई विधानसभा के गठन तक टाल दिया था जिसके बाद मामला अदालत पहुंचा था.
वर्तमान 15 वीं पंजाब विधानसभा में प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस जिसकी सदस्य संख्या 70 से ऊपर है, अत: वह 4 या संभवतः सभी 5 सीटें भी जीत सकती है क्योंकि उस विधासभा विपक्ष में आप पार्टी और अकाली दल के विधायकों में किसी संयुक्त प्रत्याशी पर चुनावी तालमेल होने की सम्भावना न के बराबर है. उक्त 15 वीं विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या को देखते हुए ऐसा भी संभव हो सकता है कि अगर पांचो सीटों पर केवल कांग्रेस उम्मीदवार उतारती है, तो मतदान करवाने की आवश्यकता ही न पड़े एवं ऐसी परिस्थिति में नामांकन वापसी की अंतिम तिथि को ही रिटर्निंग अधिकारी द्वारा कांग्रेसी उम्मीदवारों को राज्य सभा हेतु निर्वाचित घोषित किया जा सकता है. हालांकि अगर नव गठित 16 वीं पंजाब विधानसभा द्वारा उपरोक्त 5 राज्य सभा सीटों का निर्वाचन किया जाता है, तो निश्चित तौर पर सभी सीटें आप पार्टी ही जीतेगी.
हेमंत ने बताया कि प्रदेश में 5 सीटों के लिए एक साथ नहीं बल्कि 3 और 2 सीटों के लिए अलग -अलग चुनावी नोटिफिकेशन जारी कर राज्य सभा चुनाव करवाया जाएगा क्योंकि उक्त सीटों अलग अलग द्विवार्षिक चुनावी- चक्र की हैं. जून, 1987 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था जिस कारण अप्रैल, 1988 में रिक्त हुई 3 राज्य सभा सीटों और अप्रैल, 1990 में खाली हुई अन्य 2 राज्य सभा सीटों हेतु चुनाव नहीं करवाया जा सका था क्योंकि तब पंजाब में विधानसभा ही मौजूद नहीं थी. रोचक बात यह है कि गत पांच वर्षो में अर्थात मौजूदा 15 वीं विधानसभा के मार्च, 2017 में गठन से लेकर आज मार्च, 2022 तक इस विधानसभाके सदस्य-विधायकों द्वारा एक भी राज्यसभा सांसद का निर्वाचन नहीं किया गया है जोकि संभवतः देश में अभूतपूर्व है.