पंजाब में टी.बी के इलाज के लिए मेडिकेशन इवेंट रिमाईंडर मॉनिटर बॉक्स की शुरूआत
चंडीगढ़, …….चंडीगढ़ एक राज्य स्तरीय समागम करवाया गया, जिसमें अमृतसर और पटियाला जिलों में मेडिकेशन इवेंट रिमाईंडर मॉनिटर (एम.ई.आर.एम.) बॉक्स को पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर लांच किया गया। यह नवीन तकनीक पंजाब सरकार द्वारा फरवरी 2021 में वर्ल्ड हैल्थ पार्टनरज़ (डब्ल्यू.एच.पी.) के साथ एक एमओयू (समझौता) के द्वारा सहीबद्ध किये पेशेंट प्रोवाईडर स्पोर्ट एजेंसी (पी.पी.एस.ए.) प्रोजैक्ट की निरंतरता में चलाई गई है। यह प्रोजैक्ट पंजाब के बताए गए उक्त दो जिलों में चल रहा है। ज़िक्रयोग्य है कि यह प्रोजैक्ट इन जिलों में प्राईवेट स्वास्थ्य क्षेत्र में लागू किया जा रहा है क्योंकि यहां निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में टी.बी. का संजीदगी से इलाज करवाने और इस बीमारी सम्बन्धी अपेक्षित जानकारी की कमी है।
इस एम.ई.आर.एम. बॉक्स को औपचारिक तौर पर पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के डायरैक्टर डॉ. जी.बी. सिंह ने लांच किया। बॉक्स सम्बन्धी जानकारी देते हुये डॉ. जी.बी. सिंह ने कहा कि पंजाब का लक्ष्य 2025 तक तेज़ी से टी.बी ( टूबर्क्यलोसस ) के ख़ात्मे और मौत दर को घटाने के लिए यत्नशील है जिससे टी.बी. मुक्त भारत के सपने को व्यवहारिक रूप दिया जा सके।
यह यकीनी तौर पर आगे बढ़ने के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। पिछले साल, इस लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर पंजाब के 3जिलों फतेहगढ़ साहिब, कपूरथला और नवांशहर ने टी.बी. मुक्त दर्जे के लिए कांस्य पदक हासिल किया था। इस साल राज्य द्वारा कांस्य पदक के लिए 5 जिलों फरीदकोट, फ़िरोज़पुर, मोगा, रूपनगर और तरन तारन को नामज़द किया गया है।
डब्ल्यू.एच.पी. के कंट्री डायरैक्टर, श्रीमती प्राची शुक्ला ने अपने स्वागती भाषण में कहा कि डब्ल्यू.एच.पी. एक ग़ैर-लाभकारी संस्था है जो 10 भारतीय राज्यों में काम कर रही है, जिसमें गरीब और कमज़ोर वर्गों के व्यक्तियों के लिए आसानी से उपलब्ध होने वाले निरंतर स्वास्थ्य संभाल प्रोग्राम चलाए जाते हैं। यह सबूत-आधारित प्रबंधन और तकनीकी समाधानों का प्रयोग करके पहले से उपलब्ध स्रोतों को और ज्यादा कुशलता से नवीन ढंग से इस्तेमाल करती है।
एम.ई.आर.एम. प्रौद्यौगिकी सम्बन्धी अपने विचार पेश करते हुये डब्ल्यू. एच.पी के प्रोजैक्ट डायरैक्टर डॉ. योगेश पटेल ने भाग लेने वालों को बताया कि मरीज़ों को एक एम.ई.आर.एम. बॉक्स में दवाएं प्राप्त होती हैं। यह एक इलैक्ट्रॉनिक मॉडयूल है जो बॉक्स के ढक्कन खुलने की तारीख और समय को रिकार्ड करता है। एम.ई.आर.एम. के अलर्ट मैकनिज़मः-
– रोज़ाना दवा रिमाईंडरः
डेली मैडीकेश रिमाईंडर के तौर पर ग्रीन लाईट और बज़र
-रीफिल सम्बन्धी रिमाईंडरः
मरीज़ को बॉक्स रीफिल कराने सम्बन्धी जानकारी देने के लिए पीली लाईट।
-बैटरी के कम होने सम्बन्धी चेतावनीः
मरीज़ को कम बैटरी के प्रति सचेत करने के लिए लाल लाईट शामिल हैं। इसी तरह बॉक्स का खुला-बंद ढक्कन निक्शे में मरीज़ द्वारालिए गई ख़ुराक के तौर पर रजिस्टर होता है। टी.बी. के इलाज में प्रौद्यौगिकी की यह प्रयोग टी.बी के इलाज दर को बढ़ाने में बहुत मददगार होगी।
केंद्रीय टी.बी. डिवीज़न के डी.डी.जी. डॉ. राजिन्दर पी. जोशी ने इस पहलकदमी को शुरू करने के लिए राज्य को बधाई दी और प्रोग्राम की सफलता की कामना की।
इस लांच समारोह के दौरान एस.टी.ओ डॉ. राजेश भास्कर, पी.एस.ए.सी.एस. के सहायक प्रोजैक्ट डायरैक्टर डॉ. बोबी गुलाटी, डब्ल्यू.एच.पी के डायरैक्टर प्रोग्रामज़ श्री अभिषेक शर्मा, डी.टी.ओ. पटियाला डॉ. गुरप्रीत सिंह नागरा, डायरैक्टर-प्रोग्राम श्री अखिलेश कुमार और पी.पी.एस.ए. के प्रोजैक्ट लीड सुखविन्दर सिंह, प्राईवेट प्रैक्टिशनर डॉ. कनिष्क और टी.बी. चैंपियन श्रीमती सुमन ने भी अपने कीमती विचार पेश किये।