मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 29 वर्ष से चले आ रहे अंधविश्वास को तोड़ते हुए नोएडा जाएंगे
लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज उत्तर प्रदेश में 29 वर्ष से चले आ रहे एक बड़े मिथक को तोड़ेंगे। प्रदेश में 29 वर्ष से एक बड़ा अंधविश्वास है कि जो भी सीएम नोएडा जाता है, उसको कुर्सी गंवानी पड़ती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज नोएडा में नई मेट्रो सेवा की तैयारियों का जायजा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर मेट्रो की मेजेंटा लाइन का उद्घाटन करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 29 वर्ष से चले आ रहे अंधविश्वास को तोड़ते हुए नोएडा जाएंगे। मुख्यमंत्री यहां मेट्रो की नई मैजेंटा लाइन के उद्घाटन की तैयारियों का जायजा लेंगे। यहां के बोटैनिकल गार्डन से कालकाजी मैजेंटा मेट्रो लाइन का उद्घाटन पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम योगी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर 25 दिसम्बर को करेंगे। योगी आदित्यनाथ के नोएडा आने की चर्चा इसलिए जोरों पर है क्योंकि अंधविश्वास के चलते पिछले 29 वर्ष में यूपी के सीएम नोएडा जाने से परहेज करते आए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज नोएडा जाना इसलिए खास है, क्योंकि पिछले 29 साल से कोई भी मुख्यमंत्री यहां आने से परहेज करता रहा है। यह अंधविश्वास रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां आया उसकी कुर्सी चली गई। आखिरी बार मायावती नोएडा गईं थीं और 2012 में उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।
योगी आदित्यनाथ से पहले अखिलेश यादव लगातार पांच वर्ष मुख्यमंत्री रहे, लेकिन एक बार भी वह नोएडा नहीं गए। उन्होंने इस अन्धविश्वास को तोडऩे की बात जरुर कही थी। अब सीएम योगी के नोएडा दौरे पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि बीजेपी वालों की भगवन से सेटिंग है। वह लोग तो कुछ भी कर सकते हैं। हम तो धर्म के अनुसार चलते हैं, बिल्ली रास्ता काट दे तो भी रूक जाते हैं। अब वो जा रहे हैं उनकी डायरेक्ट सेटिंग भगवान से है।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह भी उत्तर प्रदेश के सीएम रहे लेकिन कभी नोएडा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। इस अपशगुन के इतिहास को देखें तो इसकी शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के साथ हुई घटना से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1988 में नोएडा से लौटने के तुरंत बाद ही वीर बहादुर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩी पड़ गई थी। इसके बाद 1989 में नारायण दत्त तिवारी और 1999 में कल्याण सिंह की भी नोएडा आने के बाद कुर्सी चली गयी। वर्ष 1995 में मुलायम सिंह यादव को भी नोएडा आने के कुछ दिन बाद ही अपनी सरकार गंवानी पड़ गई थी।
नोएडा यात्रा से नेताओं की मुख्यमंत्री यात्रा पर विराम लगने से नोएडा पर अपशकुनी होने का कलंक लगता चला गया। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यूपी की मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा के अंधविश्वास पर भरोसा नहीं किया।